क़िस्मत की लकीरें....!
मेरे हांथों की लकीरें कुछ टूटी - टूटी सी है, मेरी क़िस्मत मुझसे इस तरह से रुठीं है।
और वो जो मेरी ज़िन्दगी है,
और वो... जो मेरी ज़िन्दगी है,
वो अपने ही दिल - ओ - दिमाग़ के उधेड़बुन फसीं बैठी है।।
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