न समझ की समझदारी...!
वो समझ कर न समझ बनते रहे, हमारे दिल के वो हजारों टुकड़े करते रहे....
जिसे हम इश्क़ समझते रहे, वो हमारे जज़्बातों से ख़ेल कर टाइम पास करते रहे...
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