वहम.....!
वो मेरा वहम ही था शायद , जो वहम ही रह गया ,
मैंने अपनी औकात देखीं नहीं और आपसे इश्क़ हो गया,
ऐ मेरी जान......!
मैं आपके इश्क़ के भ्रम में रहा और अपनी औकात भूल गया..
किस्मत-ऐ-दास्तां......!
कभी मिले जो मौत से किसी राह में, तो सुनाएंगे अपनी किस्मत-ऐ-दास्तां उसे,
दर्द होगा शायद उसे, पर हस्ता जाऊंगा मैं,
क़िस्मत मान कर अपनी, बस चलता चला जाऊंगा उसके साथ में मैं।
अज़ब इश्क़ है तेरा ........ !
जब दूर थे, तब पास आने की क़ोशिश कर रहे थे,
जब पास थे, तो दूर जाने की क़ोशिश करते रहे।
अज़ब इश्क़ है तेरा, ...............ऐ मेरी जान........ !
लोग इश्क़ करते है रिश्तें बनाने के लिए,
आपने इश्क़ कर लिया फासलें बनाने के लिए।।
बेज़ुबाँ इश्क़..... !
जब भी तड़पे बताया मैंने ,जब भी रोये अपना दर्द जताया मैंने।
अब आपको न तड़प बतायेगे न , और न दर्द जताएंगे ।
बस यूँ ही चुपचाप आपकी जिंदगी से निकलते चले जायेंगे।।
नादान इश्क़ ...!
हम नादान थे, नादान ही रह गए, वो अंज़ान से, होशियार हो गए.
हम उनके मोह में बदनाम हो गए , वो ये जान कर और अंज़ान हो गए.