ये ख़ुदग़र्ज़ियाँ...!
वो खुदगर्ज़ से हो गए अपनी की चाह में, वो दुनियाँ से बेख़बर से होते गए अपनी राह में।
मैंने पूछा, क्या अब भी है मोहब्बत हमसे ? वो शर्मिंदा से हो गए हमारी आँखों से आँखे मिला के।।
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