Saturday, 30 April 2022

बेख़बर हमसफ़र..!!







क़द्र नहीं किसी को किसी के होने न होने से ,
बस ज़िक्र हुआ  तो याद आ गयी ,
वरना किसी को फ़र्क नहीं पड़ता किसी को खोने से | 


जुबां कुछ और  दिल में कुछ और सामने  कुछ और है यहाँ लोग 
किसी  का कुछ पता नहीं किसके साथ और किस ओर  यहाँ लोग |


इतने बहाने किसके लिए , जो दिल में है बता दो, भले कुछ सवाल होंगे आपसे मेरे 
मगर आपके रास्ते के पत्थर न बनेगे हम कभी 'ऐ मेरे हमसफ़र' | 


हसरतें अपनी अब दिल में रखेंगे, आप से कभी अब कुछ न कहेंगे, जैसे चाहें वैसे रख लेना मुझे 
और अग़र न रख सको हमें, तो फेंक देना हमे हम आपसे उफ्फ़ तक न करेंगे |


अग़र मेरे ज़ज्बातों को नहीं समझ सकते तो मुँह से कही बातों को समझ लो,अगर वो भी नहीं समझ सकते, तो इतना कर लो मेरे साथ बिताएं लम्हों को याद कर लो, शायद कुछ समझ आये और क्या पता तब हमारी क़द्र हो जाएं | 


न जीने देते हो न मरने देते हो, हर रास्तें पर पहरा लगा कर रख़ते हो,
जैसे मैंने कोई ज़ुर्म किया है जो आप मुझे क़ैद ब मुशक्क़त की सज़ा में रकते हो | 



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