Wednesday, 15 June 2022

अदायें..!!









मेरे बताये तरीके मुझे पे ही आज़माते  है 
वो सोंचते है वो जो कर रहे हम नहीं जान पाते है 
हमने तो तरीक़े आपकी सहूलियत  की लिए बताये थे 
हमे नहीं पता था कि आख़िर में वो आप हम पर ही आज़माएंगे | 


मैं देख रहा हूँ उनको उन्ही की नज़रो में गिरते हुए 
मैं कोशिश भी कर रहा हूँ उनको सँभालने के लिए 
पर ये आपका नकारने का हुनर ग़ज़ब का है 
 ऐ मेरी जान..!!
जो आपको सब पता होते हुए भी नज़र अंदाज़ बना रहा है | 


आप चाहते हो की मैं आपसे मोहब्बत करना छोड़ दूँ जिससे आपको आसानी हो जाये मुझे छोड़ने में 
अग़र मैं ये कर भी दूँ तो क्या जता पाओगे मेरी मोहब्बत और क्या बता पाओगे किसी को किसी को मेरी मोहब्बत 
कि मेरा एक भी दीवाना था जो बिन मतलब के बेशुमार मोहब्बत करता था जो मेरे  दिए दर्द  को सहता गया और खुद दर्द देता गया  फिर भी मोहब्बत सिर्फ मुझसे ही करता था मेरी ख़ुशी के लिए ख़ुद को बेवफ़ा साबित करता गया और मेेरी ही ज़ोर ज़बरदस्ती से खुद को मुझसे दूर करता गया फिर भी मुझसे मोहब्बत करता गया | 

Thursday, 5 May 2022

रोतीं रातें। ..!!





 


बस उम्मीद पर जी रहा था मैं, अपनी उम्मीदें ख़ुद  ही जोड़ कर तोड़ और तोड़ कर जोड़ रहा था मैं ||
अपनी उधेड़ बुन अपने आप से लड़ रहा हूँ मैं ,उसको पता होते हुए भी नहीं पता था कि कैसे जी रहा हूँ मैं ||


मेरे इश्क़ का सिर्फ सब्र देखा है आपने, 
जिस दिन वाक़िफ़ होंगे इश्क़ से मेरे तब तक देर हो जाएगी |
ये जानता हूँ रोओगे बहुत  
    "ऐ  मेरी जान"
पर तब तक बहुत देर कर जाओगे ||


जितना दर्द दे रहे हो मुझे मेरी मोहब्बत में 
    " ऐ मेरे इश्क़ " मैं तो सह लूंगा |
और दुआ करूँगा कि ये दर्द आपको न मिले मेरी मोहब्बत  में ||
 

माना की मेरी हैसियत नहीं थी आपसे मोहब्बत करने की | 
अब जब कर ली तो है औक़ात नहीं है आपको अपना बना पाने की || 


मुझे नहीं पता था उसकी फ़ितरत क्या है मुझसे मोहब्बत करने की | 
मोहब्बत करके छोड़ जाने की या ज़िंदा रख कर मारने  की || 


कभी हाल - ऐ - इश्क़  मेरा भी जान लेते
" ऐ ज़िन्दगी " 
कभी कभी बहुत ज़्यादा दर्द होता है तेरे यूँ बेवज़ह बातों पर बहस करने से || 







Saturday, 30 April 2022

बेख़बर हमसफ़र..!!







क़द्र नहीं किसी को किसी के होने न होने से ,
बस ज़िक्र हुआ  तो याद आ गयी ,
वरना किसी को फ़र्क नहीं पड़ता किसी को खोने से | 


जुबां कुछ और  दिल में कुछ और सामने  कुछ और है यहाँ लोग 
किसी  का कुछ पता नहीं किसके साथ और किस ओर  यहाँ लोग |


इतने बहाने किसके लिए , जो दिल में है बता दो, भले कुछ सवाल होंगे आपसे मेरे 
मगर आपके रास्ते के पत्थर न बनेगे हम कभी 'ऐ मेरे हमसफ़र' | 


हसरतें अपनी अब दिल में रखेंगे, आप से कभी अब कुछ न कहेंगे, जैसे चाहें वैसे रख लेना मुझे 
और अग़र न रख सको हमें, तो फेंक देना हमे हम आपसे उफ्फ़ तक न करेंगे |


अग़र मेरे ज़ज्बातों को नहीं समझ सकते तो मुँह से कही बातों को समझ लो,अगर वो भी नहीं समझ सकते, तो इतना कर लो मेरे साथ बिताएं लम्हों को याद कर लो, शायद कुछ समझ आये और क्या पता तब हमारी क़द्र हो जाएं | 


न जीने देते हो न मरने देते हो, हर रास्तें पर पहरा लगा कर रख़ते हो,
जैसे मैंने कोई ज़ुर्म किया है जो आप मुझे क़ैद ब मुशक्क़त की सज़ा में रकते हो | 



Wednesday, 27 April 2022

जज़्बात दिल से ..!


 
ये बातों की जंग मेरी आपसे नहीं है मेरी क़िस्मत से है,
जो मेरे साथ होकर भी मेरी कभी होती नहीं है |


आपसे इश्क़ किया है कोई गलती नहीं,
मेरा आपसे मोहब्बत करना कोई मज़बूरी नहीं | 


मोहब्बत में दर्द भी दोगे तो हम सह लेंगे, 
आप लाख कोशिशे कर लो मुझसे दूर होने की हम  फिर भी मोहब्बत करते रहेंगे | 


इतनी जगह दो अपने दिल में की थोड़ा सुकून मेरे दिल को भी आ जाये,
आपके आस पास माहौल ऐसा बने की आपको मेरी याद आ जाये | 

Tuesday, 26 April 2022

बेपरवाह सी मोहब्बत...!!

वो बेपरवाह सी लड़की मोहब्बत  कर बैठी ऐसी , जिसको पता न भी था की मोहब्बत होती है कैसी | 
उसको लगता था की सिर्फ मिलना, बात करना, उसका कहना मानना ही मोहब्बत है | 

जैसा वो कहता गया वैसा वो करती गयी , अपनी आज़ादी को भूलती गयी | 
अपने आप को बेड़ियों में बांधती गयी , अपनी ज़िंदगी के मायने को बदलती गयी | 

उसके ऊपर मोहब्बत से ज़्यादा पाबंदियां बढ़ती गयी , उसके मोबाइल पर दोस्त, रिश्तेदारों के call /msg से ज्यादा प्रमोशनल call /msg  की संख्या हो गयी |  समझदार होने की जगह वो और न समझ बनती गयी , खुद को समझाने के लिए खुद से झूठ बोलती गयी |  

चेहरे पर अपने खुश दिखने का नक़ाब पहनती गयी, घुट घुट कर ज़िंदगी जीती  रही | 


जब असल में हुई उसको ,उसकी पारवाह करने वाले से मोहब्बत तो उससे भी वो नफ़रत करती गयी , न समझी में हुई गलती को मोहब्बत नाम देकर वो भागती  रही | 

दिल ही दिल में मोहब्बत कर सामने से उसको ठुकराती गयी , वो बताता रहा , समझाता रहा वो एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकलती गयी | 

खुद गलती कर उसको ज़िम्मेदार ठहराती गयी , वो बेपरवाह सी मोहब्बत करता रहा, वो समझ कर भी न समझ बनती रही | 




मोहब्बत पहले की तरह आज भी बेपरवाह सी है मेरी , और आगे भी रहेंगी | 
आप से ही की है और आपसे से ही रहेगी || 
आपके आने का वक़्त कितना भी लम्बा क्यों न हो | 
मेरी आंखे सिर्फ़ आपके दीदार  के लिए इंतज़ार करेंगी ||