Monday, 18 August 2025

किस्मत की ये लकीरें.....!












समय दर समय निकलता रहा ,दिन पर दिन यूँ ही गुज़रता रहा। 
वो अपने अंदाज़ में ज़िंदगी जीते रहा, वो अपने अंदाज़ में ज़िंदगी जीते रहा। 
हम ता उम्र उनका ही इंतज़ार करते रहे। 

ऐ दोस्त

मुझे पता था, इश्क़ में हमेशा अधूरी थी लकीरें, 
सोचा था, शायद बदलूंगा मैं अपनी किस्मत से ये लकीरें। 








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