Monday, 22 July 2024

ज़िंदगी से कश्मक़श .......!





अर्ज़ है ........! 

सोच में एक ख्याल आया था...... कि जैसा चाहा था, वो कभी मुझे मिल न सका........!

हर बार चीजें बदलती रही......हालातों से मैं लड़ता रहा, 

न मुझे कोई समझ सका और न मैं अपनी चीजें समझा सका.......!






Saturday, 13 July 2024

 

ज़िंदगी की दौड़......!



कुछ कहना था ,कुछ सुनना था।

कुछ बताना था, कुछ समझना था।  

.....ऐ ज़िंदगी.....

ज़िंदगी की दौड़ में, उसे अपने साथ आगे बढ़ाना था। 







Friday, 12 July 2024


न समझ इश्क़...!



कहने को तो बहुत कुछ है, पर समझने वाला नहीं है। 

बताया भी बहुत कुछ है, पर कोई समझा नहीं। 

......ऐ मेरी जान......

कहने को तो इश्क़ है, पर कभी बताया नहीं।