इश्क की लत ......!
मैं हर क़दम पर उसका साथ निभाता रहा. वो भी कुछ क़दम साथ चलती रही.
कभी धीमें - कभी तेज़, कभी ऊपर - कभी नीचे.
बस ज़िन्दगी ऐसे ही हमारी चलती रहीं।
न वो कुछ समझ सके, न उनसे कुछ कह सके हम,
बस ऐसे ही उनके इश्क़ में उलझते रहे हम।
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