क़िस्मत का अफ़साना...!
मैं बसाना चाहता हूँ अपनी ज़िंदगी में तुझे, हमेशा चपकाये रखना चाहता हूँ अपनी बाँहों में तुझे,
ये मेरी हसरतें पूरी होंगी भी या नहीं, ये पता नहीं मुझे,
कभी क़िस्मत साथ नहीं होती मेरे और कभी तुम पास नहीं होती मेरे।
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