Saturday, 4 May 2024


वक़्त और हालात....!




वक़्त की लात कुछ ऐसी पड़ी मुझे, जो अपने थे वो पराये हो गए, 

समझ न सके जज़्बात मेरे और गुस्से में मेरे खिलाफ हो गए, 

ये तो अच्छा है न     ....ऐ दोस्त .....

कि उनका गुस्सा मुझसे ज़्यादा प्यारा है उन्हें।











बेइंतहा इश्क़ ......!





मुझे पता है कि हम मिल नहीं सकते, 

एक होकर भी कभी एक साथ हो नहीं सकते.

इश्क़ तो बेइंतहा है तुमसे,

ऐ मेरी जान......! 

 मगर तुम मेरे होकर भी कभी मेरे हो नहीं सकते.....!