वक़्त और हालात....!
वक़्त की लात कुछ ऐसी पड़ी मुझे, जो अपने थे वो पराये हो गए,
समझ न सके जज़्बात मेरे और गुस्से में मेरे खिलाफ हो गए,
ये तो अच्छा है न ....ऐ दोस्त .....
कि उनका गुस्सा मुझसे ज़्यादा प्यारा है उन्हें।
बेइंतहा इश्क़ ......!
एक होकर भी कभी एक साथ हो नहीं सकते.
इश्क़ तो बेइंतहा है तुमसे,
ऐ मेरी जान......!
मगर तुम मेरे होकर भी कभी मेरे हो नहीं सकते.....!