सफ़रनामा...!
ज़िंदगी रूठती है मैं मनाता हूँ, मोहब्बत में उसका नाम गुनगुनाता हूँ।
कभी कभी रूठता हूँ कभी सुनाता हूँ मोहब्बत के इस सफ़र में सिर्फ तुमको ही चाहता हूँ।।
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