इश्क़ की झलक....!
मेरा ख़ुशी का ठिकाना न रहा जब इश्क़ ने मोहब्बत को देखने की इक्छा ज़ाहिर की।
हम तो फ़ना हो गए इश्क़ में ,जब उनकी हल्की सी झलक मेरी नज़रों के सामने दिखाई दी।।
दर्द से रूबरू....!
हम दर्द से रूबरू होते रहे, वो दर्द से वाक़िफ़ होकर भी नज़रअंदाज़ करते रहें ।
हम दोनों इश्क़ में है ये जानते हुए भी...हम दोनों इश्क़ में है ये जानते हुए भी ।
वो हर बार बेरुख़ी करते रहें ।।
सफ़रनामा...!
ज़िंदगी रूठती है मैं मनाता हूँ, मोहब्बत में उसका नाम गुनगुनाता हूँ।
कभी कभी रूठता हूँ कभी सुनाता हूँ मोहब्बत के इस सफ़र में सिर्फ तुमको ही चाहता हूँ।।
इश्क़ की आज़माइशें .... !
वो हर राह पर आज़माते रहे हमे, कभी अंदर, कभी बाहर से प्यार जताते रहे हमे.....
वो हर राह पर आज़माते रहे हमे,
कभी अंदर, कभी बाहर से प्यार जताते रहे हमे।
वो धीरे-धीरे अपनी ज़िन्दगी से, मिटाते रहे हमे।।