
बस उम्मीद पर जी रहा था मैं, अपनी उम्मीदें ख़ुद ही जोड़ कर तोड़ और तोड़ कर जोड़ रहा था मैं ||
अपनी उधेड़ बुन अपने आप से लड़ रहा हूँ मैं ,उसको पता होते हुए भी नहीं पता था कि कैसे जी रहा हूँ मैं ||
मेरे इश्क़ का सिर्फ सब्र देखा है आपने,
जिस दिन वाक़िफ़ होंगे इश्क़ से मेरे तब तक देर हो जाएगी |
ये जानता हूँ रोओगे बहुत
"ऐ मेरी जान"
पर तब तक बहुत देर कर जाओगे ||
जितना दर्द दे रहे हो मुझे मेरी मोहब्बत में
" ऐ मेरे इश्क़ " मैं तो सह लूंगा |
और दुआ करूँगा कि ये दर्द आपको न मिले मेरी मोहब्बत में ||
माना की मेरी हैसियत नहीं थी आपसे मोहब्बत करने की |
अब जब कर ली तो है औक़ात नहीं है आपको अपना बना पाने की ||
मुझे नहीं पता था उसकी फ़ितरत क्या है मुझसे मोहब्बत करने की |
मोहब्बत करके छोड़ जाने की या ज़िंदा रख कर मारने की ||
कभी हाल - ऐ - इश्क़ मेरा भी जान लेते
" ऐ ज़िन्दगी "
कभी कभी बहुत ज़्यादा दर्द होता है तेरे यूँ बेवज़ह बातों पर बहस करने से ||